08 January, 2014

[Short story] Rohit's Tiffin

Once there was a school. A teacher was teaching mathematics to the students of 10th class. Rohit was also attending the class but he was thinking about the aloo paratha that his mother packed for lunch. He was just waiting for class to over and eagerly waiting for lunch time. He was thinking about the parathas with butter on it along with pickle(Achaar). Suddenly teacher saw him.

“Stand up” said angry teacher.

Rohit stood up.

Teacher gave him punishment to stand up till the mathematics class will over. Rohit had to remain stand up unwillingly.

Now he could see heads of his entire class looking towards in one direction towards blackboard. Zeroes written on black board and round watch hanging on wall was still reminding him of aloo paratha. Minutes were like hours for Rohit. After few hours, mathematics class was over. It was lunch time. So he immediately opened his bag for Tiffin. But for his surprise there was no Tiffin inside his bag.
“Where is my tiffin?” he asked to himself. He was trying to remind himself about Tiffin.
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“Wake up Rohit, wake up…” It was morning and his mother was trying to wake up Rohit.

“Where is my Tiffin? Where are my aloo parathas?” Rohit asked while rubbing his eyes.

“How do know that today I have made aloo paratha for your lunch?” mother asked in surprise.

Without answering his mother’s question, Rohit got up and rushed to kitchen. He took his Tiffin and put inside his school bag.
His mother was watching Rohit in astonishment.


11 October, 2013

Do it yourself

Once a research team performed experiment on group of monkeys. They hung bananas on wall and locked four monkeys in that room. They also put ladder beside wall so that monkey could reach up to bananas through it. They were observing behavior of monkeys from window. After few minutes, one monkey found bananas on wall and he started to climb ladder. But as soon as he reached up to middle of ladder, scientists released cold water on monkey through pipe already installed just above the head of monkey. Due to the extremely cold water, monkey immediately came down. After few seconds, he tried again but same thing happened. Remaining three monkeys also tried for the same and they also came down due to the cold water.

After some time scientists replaced one monkey. New monkey also tried to climb ladder in order to get bananas. But as soon as he went towards ladder, remaining three monkeys dragged him away from ladder and beat him. After few minutes, new monkey tried again and remaining three monkeys again beat him. He did again but every time he got beaten by remaining three monkeys. He gave up.

After some time scientists replaced one monkey out of the three old monkeys. New monkey also observed that bananas were hanging and there is a ladder to reach there. He also tried to climb ladder but here also he got beaten by remaining three monkeys. After three – four attempts he also gave up.

After some time scientists replaced one monkey out of the two old monkeys. New monkey also tried to climb ladder for bananas. But after he got beaten three- four times by remaining three monkeys, he also gave up.

After some time scientists replaced one monkey and there were entirely new group of monkeys in the room. After he saw bananas, newest monkey approached towards ladder. Remaining three monkeys also beat him and after three – four rounds; he also gave up. Interestingly, remaining three monkeys didn't know that why they were beating the fourth monkey when he approached towards ladder. They were beating because they saw others doing the same.

Like these monkeys, many times in life we also took same decisions as other people took and never try to figure out the reason. People like Bill gates, Steve jobs were college dropouts but they made their own path and far more successful than other people. Instead of following others blindly, do it yourself. When you know the reasons to do, you would do it from your whole heart and mind. Well, I am not talking about love.

03 August, 2013

मानव 2.0 – एक कहानी (भाग – 1)




कमर सीधी करके वो अपना आई – फोन चार्ज करने ही वाले थे की तभी पीछे से किसी ने आवाज़ दी। “चित्रगुप्त , चलो टाइम हो गया है” पीछे देखा तो यमराज अपने वाहन के साथ खड़े थे। चित्रगुप्त ने कहा “हाँ तो, आप जाइए ना” फिर थोड़ा रुककर बोले “आज किसकी आत्मा लेने जा रहे हो ?” यमराज ने थोड़ा झल्लाकर जवाब दिया “अबे भूल गया क्या? आज भगवान ने हमे किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करने के लिए बुलाया है।“ चित्रगुप्त बोले “ओहो ये मै कैसे भूल गया” मेज़ पर रखे कागजो को समेटते हुए धीरे से अपने आप से कहने लगे “जब से ये आई – फोन आया है सब कुछ भूल जाता हूँ”। यमराज ने आंखे दिखाते हुए बोला “ज़ोर से बोलो”।

चित्रगुप्त बात काटते हुए पूछा “कितने बजे बुलाया है?”

“जल्दी करो, दस मिनट मे पहुचना है

चित्रगुप्त ने जवाब मे सिर हिला दिया।

भैसे (यमराज का वाहन) पर बैठे हुए यमराज और चित्रगुप्त ने, ना जाने कितने ब्रहमाण पार किये। थोड़ी देर के बाद वो हवा मे तैरते हुए एक सफ़ेद बादल पर उतरे। वहा उन्हे भगवान के चेहरे पर थोड़ी चिंता की लकीरे दिखाई देती है और वो कुछ सोचते हुए इधर उधर चक्कर लगा रहे होते है। वहा पर सिर्फ तीन कुर्सिया होती है और कोई सेवक भी नहीं होता है। यमराज ये देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित होते है। दोनों जाकर भगवान को प्रणाम करते है। जवाब में भगवान फीकी सी मुस्कान के साथ बैठने का इशारा करते है। चित्रगुप्त और यमराज एक पल के लिए एक दूसरे को देखते है और फिर बैठे जाते है। अपनी कोहनी को बीच मे रखे गोल टेबल पर रखकर भगवान बोलने वाले होते है लेकिन तभी उनकी नज़र चित्रगुप्त के आई – फोन पर पड़ती है । उनकी चिंता की लकीरे ओर भी गहरी हो जाती है और गुस्से से वो खड़े हो जाते है । यमराज पूछते है ,”क्या हुआ भगवन, आप इतना चिंता मे क्यो दिखाई दे रहे हो?” भगवान चित्रगुप्त की ओर देखकर गुस्से मे बोलते है ,”ये आई – फोन देखा तुमने, ये है मेरे चिंता की वजह, जिधर देखो उधर ये आई – फोन , मोबाइल फोन, आई – पैड, लैपटाप।“ चित्रगुप्त भय और आश्चर्य के साथ पूछते है, “लेकिन इनसे तो चिंताए दूर हो जाती है भगवन, घंटो का काम मिनटों मे हो जाता है। इसका नया वर्जन तो ओर भी बढ़िया है।“  ऐसा कहकर वो भगवान की ओर अपना आई – फोन बढ़ाते है। पहले से ही परेशान भगवान उसे उठाकर नीचे फेक देता है। 

वो आई – फोन सीधा धरती की ओर गिरता है और विज्ञान के नियमो का पालन करते हुए वायुमंडल मे प्रवेश करते ही जल कर भस्म हो जाता है। उधर चित्रगुप्त और यमराज दोनों बहुत परेशान हो जाते है। वो सोचते है की इतना गुस्सा तो भगवान को मनमोहन सिंह के दुबारा प्रधानमंत्री बनने पर भी नहीं आया था।

आखिरकार भगवान तो भगवान है उन्होने अपना गुस्सा काबू किया और उन दोनों को बैठने का इशारा किया। चित्रगुप्त और यमराज डरते हुए बैठ जाते है। भगवान भी बैठ जाते है और कुछ पलों की चुप्पी तोड़ते हुए बोलना शुरू करते है, “तुम दोनों को याद है वो दिन जब हमने कई सालो की मेहनत के बाद प्रयोगशाला मे मानव को बनाया था। उसकी सफलता से हम इतने उत्साहित थे की हमे ऐसा लग रहा था इससे अच्छा तो कुछ नहीं बन सकता है। जब मनुष्य ने पहली बार कबूतरो का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया तो मुझे लगा की वो यही पर रुक जाएगे लेकिन वो नहीं रुके चिठ्ठियों को लिखने से मोबाइल मे एस एम एस लिखने तक आ गए। यहा तक भी ठीक था मुझे लगा था यहा तो वो रुक जाएगे। लेकिन फिर वो आई – फोन जैसे फोन का आविष्कार करने लग गए। यहा तक तो मेरे सब्र का बांध पूरा भर गया था। लेकिन वो तब टूट गया जब वो आई – फोन के भी नए - नए वर्जन बनाने लग गए। अरे बस करो...”

यमराज और चित्रगुप्त अपना चेहरा प्रश्नवाचक चिन्ह जैसा करके भगवान की ओर अपलक देखते रहते है और उनकी बात समझने की कोशिश करते है।

उनके चेहरे पढ़कर भगवान आगे बोलते है, “आई – फोन के नए वर्जन को देखकर मुझे लगता है की हमे भी मानव का नया वर्जन बनाना चाहिए“

“ मानव 2.0 “

यह बात सुनकर यमराज दुविधा मे पड़ जाते है और कहते है, “लेकिन भगवन इसकी क्या जरूरत है आपने जो मानव बनाया है वो आपकी उत्कृष्ट कृति है और इसमे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं लगती

भगवन कहते है,”तुमने आज के इंसान की जरूरते देखी है, इन्हे देखकर ऐसा लगता है की मेरा दिया शरीर उनके लिए काफी नहीं है। जैसे की आजकल लोग मोबाइल को साथ मे इस तरह रखते है जैसे की वो भी शरीर का कोई हिस्सा हो, लोग साँस लेना भूल जाते है लेकिन मोबाइल चार्ज करना नहीं ।“

इंसान के नए वर्जन की आवश्कता पर बल डालते हुए भगवान कहते है, मुझे ये सब देखकर बहुत दुख होता है और इसलिए मै चाहता हूँ की नया वर्जन मानव की इन तरह की सब जरूरतों को पूरा करे। “

चित्रगुप्त अभी भी अपने आई – फोन को लेकर मन मे दुखी होता है। लेकिन फिर भी वो पूछता है की, “लेकिन ये सब कैसे होगा?”

भगवान अपनी योजना को समझाते हुए कहते है की, “सबसे पहले इंसान की नयी जरूरतों के बारे मे अनुसंधान होगा और फिर उसके हिसाब से जरूरी हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर मोड़िफिकेशन किए जाएगे। मै तुम दोनों को पृथ्वी पर जाकर अनुसंधान करने का आदेश देता हूँ और 30 दिन के अंदर अनुसंधान पत्र मेरे हाथ मे होना चाहिए।“

भगवान की ये बात सुनकर दोनों बहुत आश्चर्यचकित हो जाते है। लेकिन ये सोचकर खुश भी हो जाते है की इतने सारे देवताओ मे से उनको ही इस काम के लिए चुना। चित्रगुप्त ये सोचकर ओर भी खुश हो जाता है की इस बहाने उसके नए आई – फोन का बंदोबस्त हो जाएगा। दोनों भगवान से आशीर्वाद लेकर नरक के लिए प्रस्थान करते है।

अगले दिन सुबह सुबह चित्रगुप्त और यमराज कुछ दिनो के लिए पृथ्वी की ओर प्रस्थान करते है।

((शेष अगले भाग मे...)

09 July, 2013

Choose to happen...

Image Courtesy : Google 


During I was pursuing my engineering. Some classmates often study consistently throughout the semester while some always start the study after the examination time table pasted on notice board. I was lying somewhere in between who study throughout the semester but not consistently and often accelerate my studies after the time table got announce. Some highly confidently students often found asking for the topics covered in syllabus after their tail was on fire. Some of them came to my room in hostel with their fake smile and soft words. “Bhai kya kar raha hai?” was his first question even he could see me study. Whatever I replied, his next statement would be “Yaar tune to bahut padh liya, muje bhi thoda padha de…..chal kam se kam, syllabus me kya hai wahi bata de” While I was telling about the syllabus with a doubt that how would he read all, he would listen me attentively with serious face. I never saw him like this not even while lectures. After I completed the episode of syllabus, he would dictate whole syllabus meanwhile I had to continuously nod my head to approve his words. Then he would sit on my bed with his book and after silence of five minutes…

Bhai ye to bahut saara hai, tune to pura padh liya hoga… tu to yaar important topic hi bata de, apan ko to bas pass hona hai” he said with hope on his face. Without saying any other words I just told him some of the topics that are important and often asked in the previous examinations. Soon he will leave my room so that he could disturb me later.

Throughout the life everyone have choices, out of those choices we chose the path where we want to go. When I decided to pursue my graduation, I had many options like BSc, BA, BE but out of these I chose BE. Even after I decided to pursue BE I had many choices of colleges and branches in which I could take admission. Obviously numbers of available choices vary from person to person; some may have options to choose between different IITs while others may have other options. As we go further in the one way time tunnel, we had choices at different time. We need to choose the way which is important according to us. Sometime we don’t have choices and have to proceed. God gives us time and we decide where we want to spend. In next one hour whether you will watch a movie, read a book or do anything else, it depend on you. Choices / options available at this time will be somehow depend on the path you chose in past. In the previous paragraph I told you about the classmates who study just before examinations and even didn’t know about the syllabus. Those people also have the four to six months in a semester. God gave him four months but they spend on the things that are important for them. For them important thing is pleasure, nothing else. They bunked classes, spend time with similar people, smoking, drinking etc for pleasure. They chose that and now they had no option but to read only important topics.  

So you can choose you path and make your destiny. It’s not as easy as I am saying but you can.

25 June, 2013